ना आया कहीं से बुज़दिल, ना कहीं वो जाएगा
खाक़ से पैदा हुआ था, खाक़ में मिल जाएगा।
चंद लम्हे, हक़ से हैं जो, ज़िन्दगी के, जीते जा
तू नहीं, तो ये जहां क्या? ज़िन्दगी क्या कायनात?
जो नसीबे वक़्त मुमकिन, मज़े उसके, उड़ायेजा।
<२४११२०१०१५२४>
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